खुदगर्ज कहीं हम तो नहीं
पर यह आरोप बिलकुल गलत तो नहीं
सोचा सबका भला ही हमने
बगैर सोचा कोई अपना पराया
क्या हुया उस सोच का यह तो पता नहीं
पर चलते चलते अकेले हो गए इस बुज़दिलों की नगरी में
अपने से पहले सबका सोचा हमने
पर रह तो हम अकेले ही गए
ना दोस्ती मिली ना दोस्ती की सौगात मिली
मिली तो केवल ताने और गुस्थाकियों की सज़ा मिली
क्या करते परखना हमने सिखा ही नहीं
आज हम खड़े हैं अकेले यहाँ
जागा करते थे सबके लिए हम
पर हमारे लिए कोई कुछ करे इसकी उम्मीद नहीं रखते
सुझाव तो सबको देते हैं
अब कोई उन्हे ना माने तो बुरा भी नहीं लगता है
क्योंकि हमने दिल लगाना जो छोड़ दिया है हमने
इस रास्ते आके हमे अपना प्यार मिला की नहीं यह वक्त बताएगा
पर हाँ कुछ खास दोस्त मिले है जो है बड़े है प्यारे
जिन्हे रखना है दिल के पास
क्योंकि ये गलतियाँ भी गिनाते हैं
और दूर जाने की सोचे तो गालियाँ भी खूब देते हैं
जिन्हे हमारे होने और ना होने से बेहद&फार्क पड़ता है
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