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मुसाफिर हो यारा

मुसाफिर हो यारा

ज़िन्दगी का क्या है साहेब,
ये तो चलती ही रहती है।
किसी के आने का इंतज़ार नहीं करती,
और नाही किसी के जाने का दुख ज़ाया करती है।

मुसाफ़िर तो हम है जनाब,
जो भटकते रहते है बस।
उस छन भर के इंतजार में,
जो उसे तेरी हसी देख कर ही मिलती है।

सोना पीतल चांदी ये तो सिर्फ मोह माया है,
असली सुकून तो तुझे देख कर ही आ जाता है।
खुश रहना तो बस एक बहाना है,
हमें तो सिर्फ तुझको खुश रखना है।

दोस्ती मिली प्यार भी मिला,
सब कुछ मिला पर यार ना मिला।
पर ये मोह माया है जनाब,
यहां अमीरी नहीं दोस्ती बिकती है सरेआम।

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