Sunday

मेरा ज़िगरी यार

मेरा ज़िगरी यार

रब से मिली एक दुआ है हमारी
तू सलामत रहे यह मरज़ी है मेरी
रिश्ताा यह आज और कल का नही़
यह तो फसल है बरसो का
कैसे है हम यह तो पता नहीं
पर दोस्ती है हमारी बहुत ही खास इतना है पता
लड़ने झगड़ने के किस्से कम तो नहीं
पर हम चूहा और बिल्ली भी तो नहीं
लाख तूफ़ान आए और चले गए
किसी में इतनी हिम्मत कहाँ जो इस रिश्ते को हिला भी सके कोई
दूसरो के पल्ले पड़ जाए ऐसी दोस्ती नही़ हमारी
इसलिए यहाँ मसालों की कमी जाए मगर
ज़सबातों की भरमार यहाँ मेरे आँगन में
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