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इत्तेफाक

इत्तेफाक

चलते चलते आज कुछ दूर आ गए
कुछ पाया या नहीं ये फेसला तो अपने आप पर है
रिश्तों के इस रास्ते में चलने के लिए कई लोग मिलें
और उन में से एक खास दोस्त तू मिला
हम इतने महान कहाँ
की कुछ खोने का हिसाब रखें
पर अगर ये दोस्ती हमसे टूट गई
तो बिखरे पन्नों की तरह हम भी बिखर जाएंगे
क्योंकि किताबों में कविताऐं लिखी जाती है
पर पन्नों को तो पैरों तले कुचल दिया जाता है
हवा के झोंके की तरह कहीं उड़ मत जाना
आए हो अनजानों की तरह अब बनके साथ निभाना

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