जब किया तब प्यार भी ज़ोरो पर था और क्षमा भी
प्यार के साएद गुलाम तो नहीं
पर पंख हम दोनो के ही निकले थे
अब यह कुसुर कहीं हमारा तो नहीं
की हम दोनो पहले क्यों नहीं मिले थे
अब दोस्ती पुरानी थी तो ज़रुर
पर किस्मत ने जुदा किया था मगर
प्यार इतना बूरा तो नहीं की नफरत हो जाए उससे
यह कुसूर है उस दिल का
जो आज हार बैठे हैं हम तुमपे
कल किसने देखा है हम तो आज में जिए चले जा रहे हैं
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