रास्तों में चलते चलते
हमेशा कुछ अजूबा नहीं होता
कुछ काम हमें भी करना होता है
कुछ मेहनत हमें भी करना पड़ता है
बैठे बिठाये जैसे फूल नहीं खिलता
वैसे ही कभी बातों से पेट नहीं भरता
किस्मत की गाड़ी नहीं चलता
और हम बैठे नहीं रहते
वैसे ही कभी बातों से पेट नहीं भरता
किस्मत की गाड़ी नहीं चलता
और हम बैठे नहीं रहते
माना की स्टेशन आता है
पर ट्रेन फिर अगे निकल जाती है
लेकर अपने साथ कुछ यादें ले जाती है
जिनका ज़िक्र सिर्फ यादों में रह जाता है
पर ट्रेन फिर अगे निकल जाती है
लेकर अपने साथ कुछ यादें ले जाती है
जिनका ज़िक्र सिर्फ यादों में रह जाता है
खोया कुछ नहीं पर पाया सबको
जिनको बुलाया था सब आए
पर अंजानों की हस्ती में
कुछ नाम अंजान हो गए
जिनको बुलाया था सब आए
पर अंजानों की हस्ती में
कुछ नाम अंजान हो गए
ज़िक्र किसी से क्या करना
जो अपना नहीं थी
उन्हें हमारा कहते रहे
और वो किसी का भी नहीं हो पाया
जो अपना नहीं थी
उन्हें हमारा कहते रहे
और वो किसी का भी नहीं हो पाया
0 comments: