Saturday

बातें तो नहीं

बातें तो नहीं
बातें हुई तो नहीं
और इजहार हुआ भी नहीं
वह पूछते रहे और हम हंसते रहे,
अब क्या करें कानों को जो सुना था,
वो आंखें देख रही थी,
पर दिल बयां करने पर रोक लगा रहा था।

क्या करें ए जनाब तुम हंसाते गए
और हम जी भर मुस्कुराते रहे
तुम हमें संभालते गए
और हमें गिरने का मजा ही आ गया

काश वह लम्हों को कैद किया जा सकता
या उस वक्त को थाम लिया जा सकता
उन्हें हमारे इतने राज़ मालूम थे
जो हमारे दिल में ही कहीं दफन थे

वह कहना चाहते थे बहुत कुछ
और हम समझ रहे थे सब कुछ
एक रिश्ता निभाने का वादा कर चले
सबसे दूर पर सब के पास जीने का वादा कर चलें

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