प्यार का क्या है यह तो हो ही जाता है
और शायद उस इंसान से ज्यादा ही
जिसे पाना नामुमकिन सा होता है
क्यों होता है ऐसा??
क्या हमारे जज्बात झूठे हैं
या फिर प्यार में कोई कमी है
जिससे दिल लगी होती है
उसी से दिल टूटता भी है
अगर प्यार इसे कहते हैं
तो हमें प्यार क्यों होता है
जब पता है इसका अंजाम क्या होगा
तब दिल्लगी ही क्यों होती है
तुमसे प्यार बेहद किया
ना कुछ सोचा ना समझा
बस सोचा तो यह कि तुम सलामत रहो
पर अगर तुम ही खुश ना रहो
तो यह प्यार किस मतलब का
इतनी स्वार्थी तो मैं कभी थी ही नहीं
ना अब बन पाऊंगी
पर प्यार करना या ना करना
वह बस में नहीं था हमारे
पर तुमसे दूर से जाना आसान तो नहीं
पर यह रास्ता है हमारे पास और
इसे मंजिल बनाना बखूबी आता है हमें
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