या यूँ कहूँ तुझे तलाश रही थी मै
तू कहाँ है किस ओर है यह सोच रह थी मै
यह नौकरी ही तो है जिसे इतने प्यार से बूला रही थी मै
तू तो चाहत है हर युवा की
हर एक इन्सान की रोज़ी रोटी है
कोई जागा है तो कोई भागा है
तुझे पाने की चाह में हर एक इन्सान दीवाना है
यह तो आशीकी है हर एक इन्सान की
तभी तो यह इतनी किमती है
किसी ने इसके लिए अपना घर छोड़ा
तो किसी ने अपने घर को ही दाव पर रख दिया
इसे पाना इतना मुश्किल तो नहीं
पर रख रखा है बहुतो ने बनाके अपनी जागीर
तो यह बोलो हम कहाँ जाए, मंदिर जाये या मस्जिद
क्योकि मोटी रकम अदा कर पाए यह हम तो नहीं
अगर पैैसा होता तो हमें इसकी तालाश ही क्यों होती
रात को जाग जाग कर यूँ न तुझे सोचती
बस मन तो यह है किसी तरह तुझे पा लूँ
ताकी दूर ना रहे तू हमसे
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