Sunday

आँसू

आंसू

जितना था पानी आँखों में सब निकाल दिया
जितवा खफ़ा हम तेरे से थे उस वजह को ही मिटा डाला
क्योंकि किसी भी सूरूवात के लिए जरूरी है एक रिश्ते का खत्म होना
यह जरूरत तुमेहारी नहीं हमारी है
क्योंकि इस दलदल में घूसोगे तो घूसतो चले जाओगे
यह तुमने कितनी बार समझाया मुझे
पर आज जाके बात कान में ही नही दिमाग में भी घूसा मेरे
आज सारे यादों का गुलदस्ता बनाके अपने साथ से लिया
यादों में फरक कैसा
तू तो वजह है मेरी मुस्कूराहट की
तो यादों मे चुन्ना और गिन्ना कैसा
तेरे साथ जो पल बिताएँ वो याद रखूँगी
तेरी कहामी मेरे किताब के सबसे पहले लिखुंगी
बस दुख तो इतना रहेगा की तेरी मासूमीयत जा चुकी है
जो मुझे अब हसाती तो नहीं पर फर्क बहुत ज्यादा ही पड़ती है

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