मौसम के लिवास में तू आया तो सही,
दिखा के अपना प्यार लौट चला तू अपनी गली,
सुकून के दो पल मिले थे हमको,
क्या इतनी जल्दी जाना जरूरी था तुमको?
बरसों बाद मिले थे तुमसे,
बातें बहुत करनी थी तुमसे,
पर समय को कहां मंज़ूर था ये,
शायद तकदीर में भी लिखा था ये।
देखा देखी में समय बीत गया,
इतने पास हो कर भी दिल को तुम मंज़ूर ना हुए,
होठों पर सिल कर तेरा नशा,
हो गया हम खुद से खफा।
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