Saturday

फर्जी

फर्जी
फर्जी

कर्ज़दारों के इस जहां में
हम एक फर्जी की जुबानी ही सही
जहां पर सब फर्जी ही सही
पर कोई फरेब तो नहीं

फर्जी तो हम सब हैं यहां
बस फर्ज के लिए वक्त नहीं है यहां
फर्ज हमें याद नहीं और फर्जी कहलाने लायक नहीं
तो क्यों अंतर है उस मात्रा का जिसमें
फर्ज को फर्जी बना दिया

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Friday

आँखें

आँखें
आँखें

आंखों में तुम्हारे कहीं खो से गए
देख के तुमको हमारे होश उड़ से गए
क्या नशा था तुम्हारी अदाओं में
यह यों कहें आंखों से घायल किया था तुमने

सोचा कि दूर तुमसे चले जाएं
मुड़ के यहां फिर कभी ना आए
कोशिश की तो हमने बहुत
पर तुम्हारी आंखों ने हमें रुलाया भी बहुत

तुम्हारी आंखों का नशा कुछ ऐसा चढ़ा
कि ना चाहते हुए भी प्यार हो ही गया
क्या कहें की यह दिल मजबूर था तुम्हारे हाथों या
यूं कहें आंखों ने ही पागल किया था हमें

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Thursday

परीक्षा की वह पहली रात

परीक्षा की वह पहली रात
परीक्षा की वह पहली रात

परीक्षा की वह पहली रात
थी तो वह सिर्फ एक रात
काश वो एक रात हो पाती
काश वह सिर्फ कुछ लम्हे वो पाती

क्या कुछ सोचा था करने को
क्या कुछ लिखा था करने को
पूरी रात तुम हमें घूरते रहे और
हम टकटकी लगाए तुम्हारे
खत्म होने का इंतजार करते रहे

काश हम दोनों की बातें ना होती
काश वह रात अनकही ही रहती
सपना तो नहीं की उस रात को भूल जाए
सच भी नहीं कि उसको जिया जाए

परीक्षा की वह घड़ी पास थी
मेरी घड़ी न जाने कहां गुम थी
शायद मेरा समय ही खो गया था
पर खो के वह तुम्हारे पास ही तो आया था
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Sunday

शहादत हुई शहीदों की

शहादत हुई शहीदों की
शहादत हुई शहीदों की

इरादों का दम ना कहने से आता है
नाही दिखाने से
यह तो आता है हमारे
लहू के जुनून से
आज शहीदों को देख कर
आंखे नम हुई है
धरती ने खुद उनकी अंत्येष्टि पर
आंसू बहाए हैं
यह आंसू हम ज़ाया न जाने देंगे
यह आंसू हम ऐसे ही ना बहने देंगे
अच्छाई हमारी फितरत है
इन्हें आज़माने की गलती मत करना
यह भूल नहीं महापाप है
यह इत्तेफाक नहीं तुम्हारी मौत है
अच्छाई तुमने देख ली
अब हमारा जुनून देखना बाकी है
शहादत तुमने की है
अब इबादत देखना बाकी है
लहू में लहू मिलकर
आज पुलवामा की घाटी पवित्र कहलाई
सब्र का इंतिहान मत लेना
यह कितनी बार बताया तुमको
कारगिल में उरी में सब में मुंह की खाई तुमने
फिर भी क्यों हर बार अपनी मौत का
जुलूस निकालने आते हो
हर बार शायद बच भी जाओ पर इस बार ना बचोगे आप
यह कसम हम सब ने खाई है
अब यह कसम तुम्हारी शहादत पर ही पूरी होगी इज्जत हमें भी देना आता था
पर इज्जत तुम्हें हजम कहां होती है
भाईचारा हमें भी निभाना आता है
पर तुम्हें कशम कहां याद रहती है
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Thursday

प्यार का पैगाम

प्यार का पैगाम
प्यार का पैगाम

प्यार से बना ये रिश्ता हमारा
प्यार निभाना यह सिलसिला मेरा
प्यार का क्या है
यह तो बस हो जाता है

कभी किसी से कुछ ज्यादा
तो कभी किसी से थोड़ा कम
चाय चीनी के बिना अधूरी है
इंसान प्यार के बिना अधूरा है

प्यार मिलना नसीब तो नहीं
पर हक है सबका
प्यार को आज तराजू में तोला गया
उसका मोल भाव किया गया

यह देख कर आंखें कैसे बंद ना होती
आंखें कैसे नम ना होती
दो पल की जिंदगी हमारी
उस में खुशियां बांटना यह कहानी हमारी
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Monday

दिल टूटता है

दिल टूटता है
दिल टूटता है

प्यार का क्या है यह तो हो ही जाता है
और शायद उस इंसान से ज्यादा ही
जिसे पाना नामुमकिन सा होता है
क्यों होता है ऐसा??

क्या हमारे जज्बात झूठे हैं
या फिर प्यार में कोई कमी है
जिससे दिल लगी होती है
उसी से दिल टूटता भी है

अगर प्यार इसे कहते हैं
तो हमें प्यार क्यों होता है
जब पता है इसका अंजाम क्या होगा
तब दिल्लगी ही क्यों होती है

तुमसे प्यार बेहद किया
ना कुछ सोचा ना समझा
बस सोचा तो यह कि तुम सलामत रहो
पर अगर तुम ही खुश ना रहो

तो यह प्यार किस मतलब का
इतनी स्वार्थी तो मैं कभी थी ही नहीं
ना अब बन पाऊंगी
पर प्यार करना या ना करना

वह बस में नहीं था हमारे
पर तुमसे दूर से जाना आसान तो नहीं
पर यह रास्ता है हमारे पास और
इसे मंजिल बनाना बखूबी आता है हमें
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