परीक्षा की वह पहली रात
थी तो वह सिर्फ एक रात
काश वो एक रात हो पाती
काश वह सिर्फ कुछ लम्हे वो पाती
क्या कुछ सोचा था करने को
क्या कुछ लिखा था करने को
पूरी रात तुम हमें घूरते रहे और
हम टकटकी लगाए तुम्हारे
खत्म होने का इंतजार करते रहे
काश हम दोनों की बातें ना होती
काश वह रात अनकही ही रहती
सपना तो नहीं की उस रात को भूल जाए
सच भी नहीं कि उसको जिया जाए
परीक्षा की वह घड़ी पास थी
मेरी घड़ी न जाने कहां गुम थी
शायद मेरा समय ही खो गया था
पर खो के वह तुम्हारे पास ही तो आया था
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