आंसुओं का तो हिसाब करना
हमने भी छोड़ दिया था
फिर क्यों तुमने टूटे हुए दिल को
यों इस कदर ठुकराने की जुर्रत की थी
माफ तो खैर हम कर ही देते
पर तुमने हमसे रुसवा होने का
कोई मौका तो छोड़ दिया होता
काश उस मौके पर हमने भी थोड़ा जी लिया होता
विश्वास तो खैर गैरों ने तोड़ा
पर...
इत्तेफाक
