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रंग

रंग

रंग अगर जिंदगी में हो तो वह बहार कहलाए
 फिर वही रंग अगर कपड़ों में लग जाए
तो क्यों धब्बा कहलाए?
यह फर्क तो केवल नजरिए का है
वरना कमल ही क्यों कीचड़ में खिलता
फिर भी माता के भेट है वह चढ़ता
इसीलिए कहते हैं समय रहते प्यार जताना
 सीख जाओ वरना कहीं ऐसा ना हो कि
नफरत करते करते हमें अपना मानना ही भूल जाओ
फिर हम ना रिश्ता देखेंगे ना औकात
क्योंकि आज अगर समय तुम्हारा है तो
कल हमारा भी आएगा जरूर

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