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कुछ अधूरे वादे

कुछ अधूरे वादे
वादे निभाने की अगर बात होती
तो सायेद वो बात समझ भी आती
पर गलती कहां हुई ये बात
तो हमको पता ही नहीं चल पाई

तुम इंज़ाम पर इंज़ाम लगाते गए
और हम उनको सच मान सौदे पे सौदे लगाते गए
कभी कतल अपने जसबतों का किया
तो कभी खुद की ख्वाहिशों का गला घोंट डाला

गलती तो बस इतनी सी थी कि हमें तुमसे
कुछ इस कदर प्यार कर बैठे
की उसे निभाने के लिए खुद को ही भूल बैठे

तुमने गलती पर गलती की तो बहुत
और हमने तुम्हे समझाया भी बहुत
अब नहीं हमसे और बेवफा हुआ जाएगा
और नहीं आपको इस कदर देख कर जिया जाएगा

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