परेशानी मेरी कितनी भी थी
हमने सबसे छुपाए रखा
और औड़कर मुंह पर एक मुखौटा ही सही
हमने सबको खुश है रखा
पर बात तो हमसे छुपी है नहीं
रोकर आंसू तुम्हारे आंगन में ही गिरे
गिरना ही था उन्हें तो हमारे पास गिरता
क्यों तुम्हारे पास जाकर हमारी परेशानी की वजह बन बैठा
अभी तुम कहोगे की रोना तुम को भाता नहीं
पर रोने के अलावा करें भी तो क्या
क्योंकि चिल्लाना हमें आता नहीं
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