Thursday

गुलाब


गुलाब

कहते हैं गुलाब से प्यार
और प्यार से हमारा रिश्ता प्यारा
कैसे बनाये ये रिश्ता अनोखा
यह न तुम जानते हो न हम

बागों से फूलों को तोड़ा गया
बेदर्दी से उन्हें बेचा गया
खरीदारों से वो खरीदा गया
पैसों के बदले उन्हें अपने पास रखा गया

अपने चाहने वालों को दिया गया
फूलों को तोड़कर उसे गुलदस्तों में सजाया गया
लोगों को देखो वह पैसे के बदले सब कुछ भूल जाती है
गुलाब को देखो जो टूट कर भी
किसी और के प्यार को आबाद रखती है
Skip                                          Next

Related Posts:

  • अपना प्यार तेज धूप में छांव हो तुम गला सूखे तो प्यास हो तुम गुस्सा आए तो आं… Read More
  • भटकती मंज़िल भटकते भटकते आज किन गलियों में आ गए ना आता है और ना ही पता है कहां… Read More
  • चांदनी पूनम की इस चांदनी में चांद पर जो निखार आया है काश वो निखार हम पर … Read More
  • मेरा ख्वाब ख्वाबों को जहां कोई अहमियत नहीं वहां छोटा सा ख्वाब मैंने देखा है … Read More

0 comments: