कहते हैं गुलाब से प्यार
और प्यार से हमारा रिश्ता प्यारा
कैसे बनाये ये रिश्ता अनोखा
यह न तुम जानते हो न हम
बागों से फूलों को तोड़ा गया
बेदर्दी से उन्हें बेचा गया
खरीदारों से वो खरीदा गया
पैसों के बदले उन्हें अपने पास रखा गया
अपने चाहने वालों को दिया गया
फूलों को तोड़कर उसे गुलदस्तों में सजाया गया
लोगों को देखो वह पैसे के बदले सब कुछ भूल जाती है
गुलाब को देखो जो टूट कर भी
किसी और के प्यार को आबाद रखती है
0 comments: