Tuesday

मौसम

मौसम

मौसम है दसतूर भी है
तेरी हसी की हमको ज़रूरत भी है
खुशियों का आगाज़ भी है
तेरे साथ इन्हे जीना भी है

सूरज अपने घर को चला
बिताने कुछ पल अपने खुशियों के साथ चला
तो क्यों ना कुछ पल हम भी चुरा लें
और उनको खुशियों के नाम कर दे??

आज हवाओं ने भी अपना रूख बदला है
शायद उन्हे भी मेरे खुशियों का अंदाज़ा हो गया है
आज मै इतनी खुश क्यों हूँ यह मै भी ना जानु
पर जैसी भी हूँ तेरे लिए हूँ मानू मै

आँखों में कुछ सपने तो है
पर इन्हे बया करने में वक्त ज्यादा लगता है
कहीं फिर से चोरी ना हो जाए
इसी बात से डर लगता है
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