आज उलझा है मेरा ही दिल
कैसे निकलें इन उलझनों से
इस बात का पता है तो मगर
पर डर कहीं मै ना टूट जाऊँ
इन सबको सुलझाते सुलझाते।
कहीं तुम कुछ जी रहे, कहीं हम कुछ आज़मा रहे, लेकर मौसम का स्वाद, हम दोनों जिए जा रहे। एक दूसरे से दूर है, पर दिल के हर पल पास है, ...
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