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बेवक्त

बेवक्त

बेवक्त तो मौसम नहीं होता
बेवक्त तो बारिश हो़ता है
बेवक्त तो प्यार नहीं होता

बेवक्त तो एहसास होते हैं
पेवकेत तो बादल नहीं गरजते
बेवक्त तो सूरज भी नहीं डलता

अगर बेवक्त यह सब नहीं होता
तो यह बेवक्त यह एहसास क्यों जगते हैं
और यह दिल भी क्यों टूटता है
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