Sunday

बहुत हुआ

बहुत हुआ

बहुत हुया मज़ाक
बहुत हुआ खेल

बहुत हुआ जलन
बहुत हुआ चुभन

बहुत हुआ दर्द
बहुत हुआ आँसू

बहुत हुआ बस अब बहुत हुआ
बस भी कर अब बहुत हुआ

खेल नहीं ये दिल है मेरा
फूटबॉल नहीं यह इमोशन है मेरे

दाग नहीं है ज़खम है मेरे
नमक का मुझसे कोई काम नहीं

प्यार नहीं है वक्त नहीं है
सब आखिर व्यस्त हैं यहाँ

दर्द अपनों को ना होने दूँगी
खूद को ना अब टूटने दूँगी

अगर काम नहीं तो खबर नहीं
तेरी फिक्र की कदर नहीं

0 comments: