बचपन की फरमाईसें अब ज़िद बन गई हैं
बचपन का लाड प्यार अब गुस्से में बदल गया है
बचपन का बचपना कब चला गया पता ही नहीं चला
अब पीछे मुड़ते हैं तो कुछ यादें हैं
जो ठीक से भी याद नहीं
पता नहीं क्यों बड़े होने का जुनून सवार था
पर आज सोचते हैं हम जहाँ हैं वहीं पर सबसे अच्छे हैं
दूसरों के मुताबिक नहीं पर
अपने पसंद से जीए जाओ
क्योंकि यह ज़िन्दगी तुम्हारी है
और इसे तुम्हें ही सजाना है
0 comments: