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मिलना होगा फिर कभी

मिलना होगा फिर कभी
खेल खेल में प्यार हो गया
बेगाने होकर भी तू दिलदार हो गया
न जाने कहां से आया है तू
कि इस महफिल की जान बन गया

मोहब्बत की कभी कमी तो थी ही नहीं
ढूंढा था तुझे शायद अपने ही गली
वरना मिलना कैसे यह हो पाता
इस प्यार का गवाह तू कैसे जो बन पाता

तुझे पा नहीं सकती यह जाना मैंने
पर तुझे खो नहीं सकती यह माना मैंने
प्यार मिलने का नाम तो है
पर खोना इसे भी मंजूर नहीं

आसमान भी प्यार है तारों का
पर टूटना उसे भी गवारा नहीं
फिर किसी और जन्म ही सही
अगर मिलना होगा तो मिलेंगे वहीं कहीं

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