समय ये तेरा कहाँ
हम तो है सिर्फ़ कटपूतलियाँ
जिसकी डोर है किसी और के ही यहाँ
कभी तुमसे भागे तो
कभी अपनों से भाग लिया
भाग कर जाते भी कहाँ
कयोंकि गोल ही है दुनिया अपनी
कभी किसी का दिल रखा
तो कभी किसी और का
इस भागा दौड़ी में भूल ही गअ
अपना ही दिल कहाँ रखा
दिल रखने की कोशिश में
सबको इतना दूख दिया
रिशता टूटा गैरों से था
अपनो ने भी पलट के ना देखा
आज खड़े हैं अकेले
तेरे सीथ की तालाश में
पता नहीं ये ख़ामोश समय
कभी हमारी बात सुनेगा भी या नहीं
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