Wednesday

मेरी माँ की बिन्दी

मेरी माँ की बिन्दी

बिन्दी है सजी मेरे माँ के माथे पर
देखने में बड़ी छोठी सी है यह
दूर से भी ना दिखे ऐसी चीज़ है यह
रंग बिरंगे होते है यह
दूकानों में मिल जाए ऐसी चीज़ है यह

पर इसकी सुंदरता दूकानों में
समझ आ जाए ऐेैसी चीज़ नहीं है यह
प्यार से जब माँ इसे पहनती
तो लगता है चेहरा उनका खिल ऊठा है
और एक दिन माँ को इसके बिना देख लूँ
सच मानिए चेहरा पूरा फिका लगता

एक बिन्दी की ताकत से तुम अनजान हो
जिसका अनदाजा़ कर ही नहीं सकते हम
माँ के गुस्से का तेज़ उसमे झलकता
उनकी हिम्मत का प्रतीक है वह लगता
प्यार है जिनकी ममता है उनकी
माँ से प्यारा कोई इन्सान ना अपना

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