Sunday

आज़ादी की सुबह

आजादी की सुबह

खूबसूरत एक सुबह का पैगाम आया
ऊठ जा ज्लदी
भूला दे सारे गम
जी ले एक नई सुबह को

मैने पूछा जीना तो है इस सुबह को
पर क्या करें उस घाव का है दो कल का है
कैसे उसको छीपाऊँ
कैसे उसको भूलाऊँ

सुबह ने कहा भूलाना किसे है
जिसको भूलाने की कोशिश करोगी
उसे ये दुनिया तुमसे मिलाने की साजीस करेगी
इसलिए उस घाव को साथ लेकर जीए जाओ
क्योंकि यह तुम्हे हिम्मत देगी
ऊठ कर फिर खड़े होने का
गिर के फिर सँभलने का
इसलिए ऊठो गिरो और फिर गिर के ऊठो

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