क्या हो गया है इस जहाँ को
जहाँ अपने अपनों से जलते हैं
एक देश दूसरे देश के तरक्की से जलता है
अशांत है अपने ही भाई बंधुओं से
क्या खून का रिश्ता ही सिर्फ रिश्ता है??
अगर ऐैसा है तो मौत सिर्फ एक को ही क्यों
सबको आनी चाहिए
कब तक निरदोष भूगतेगा?
और कसूरवार इन्हे देख मज़े लूटेगा??
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