देख कर अपना हाथ कुछ समझ नहीं आया मुझे
कोई कहता है ये ऊपर वाले का लेखा जोका है
तो कोई कहता है सब बकवास है
अगर बकवास होता तो हिटलर आज जिन्दा होता
और इन्सान आज उस जुर्म रास्ते पर नहीं चल रहा होता
और इन्सान आज उस जुर्म रास्ते पर नहीं चल रहा होता
क्योंकि ऊपर वाला हमे ऐसा क्यों बनाएगा??
कोई दुश्मनी तो नहीं उसके साथ हमारी
कोई दुश्मनी तो नहीं उसके साथ हमारी
असल में यह सब अपने अपने कर्मों की रेखा हैं
सोचने की शक्ति दी है भगवान है
अब यह हम पर हैं की हम कौन सा रास्ता चुने
सोचने की शक्ति दी है भगवान है
अब यह हम पर हैं की हम कौन सा रास्ता चुने
ग्यान तो हम सब देतें हैं
पर असली इन्सान वो है जो काम करता हो
इसलिए हाथ की रेखा बदलनी है तो अपने आप को बदलो
खुद की गलतियों पर दुसरों को नहीं
खुद को गुन्हेगार मानो
पर असली इन्सान वो है जो काम करता हो
इसलिए हाथ की रेखा बदलनी है तो अपने आप को बदलो
खुद की गलतियों पर दुसरों को नहीं
खुद को गुन्हेगार मानो
और यह सब करके दूसरों को नहीं
पर अपने आप को जरूर सुधार पाओगे
पर अपने आप को जरूर सुधार पाओगे
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