Sunday

हाथों की लकीर

hathon ki lakeer

देख कर अपना हाथ कुछ समझ नहीं आया मुझे
कोई कहता है ये ऊपर वाले का लेखा जोका है
तो कोई कहता है सब बकवास है
अगर बकवास होता तो हिटलर आज जिन्दा होता
और इन्सान आज उस जुर्म रास्ते पर नहीं चल रहा होता
क्योंकि ऊपर वाला हमे ऐसा क्यों बनाएगा??
कोई दुश्मनी तो नहीं उसके साथ हमारी
असल में यह सब अपने अपने कर्मों की रेखा हैं
सोचने की शक्ति दी है भगवान है
अब यह हम पर हैं की हम कौन सा रास्ता चुने
ग्यान तो हम सब देतें हैं
पर असली इन्सान वो है जो काम करता हो
इसलिए हाथ की रेखा बदलनी है तो अपने आप को बदलो
खुद की गलतियों पर दुसरों को नहीं
खुद को गुन्हेगार मानो
और यह सब करके दूसरों को नहीं
पर अपने आप को जरूर सुधार पाओगे

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