Sunday

तोहफा

तोहफा

कोई कागज़ तो नहीं
तेरी आने की कोई आहट नहीं
शाम नहीं सुबह नहीं
तेरे इन्तजार का कोई समय नहीं

तेरे लिए कोई तोहफा नहीं
बस दिल में कुछ ज़सबात सही
अंजाम की फिक्र नहीं
बस अरमानों की मेहफील सजी

तेरे आँखों का तो पता नहीं
पर आज है मेरे आँखों में
क्यों है यह तो पता नहीं
क्योंकि कोई आने वाला तो नही

दसतक नहीं है दरवाजे पर
पर आहट आई है दिल से
यह इन्तजार तेरा ही तो है
और तू है कहीं ना कहीं

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