कश्तियां जब डूब रही थी
तब आकर तूने हाथ पकड़ा
हिम्मत जब टूट रही थी
तूने आकर हौसला दिया
यूं तो अनजान थे एक दूसरे से
पर आज जान चुके हैं एक दूसरे को
यादें तो अनफॉरगेटेबल है
क्योंकि बातें लिमिटलेस है
अच्छा है दोस्ती में जीएसटी नहीं होता
वरना हम आज कंगाल हो चुके होते
दुआ करते हैं आप जैसा दोस्त किसी को ना मिले
वरना हम एक्सेप्शनल कहलाएंगे कैसे
तब आकर तूने हाथ पकड़ा
हिम्मत जब टूट रही थी
तूने आकर हौसला दिया
यूं तो अनजान थे एक दूसरे से
पर आज जान चुके हैं एक दूसरे को
यादें तो अनफॉरगेटेबल है
क्योंकि बातें लिमिटलेस है
अच्छा है दोस्ती में जीएसटी नहीं होता
वरना हम आज कंगाल हो चुके होते
दुआ करते हैं आप जैसा दोस्त किसी को ना मिले
वरना हम एक्सेप्शनल कहलाएंगे कैसे
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