Sunday

अलग इन्सान

अलग इंसान

हर एक इन्सान हर एक किस्म का हो ता है
कोई एक इन्सान एक जैसा नहीं होता
सब की सोच तो अलग सी होती है
और सभी के चेहरे भी तो अलग से होते ही हैं
पर एक चीज़ जो सभी इन्सानों में हैं
वो हैं उनके चमकीले सफे दांत
अब लोग उन्हें इस्तमाल क्यों नहीं करते
ये मेरी समझ में नहीं आता
थोड़ा सा हसने में क्या बिगड़ जाता है
मेरे पल्ले तो नहीं पड़ता
मेहंगाई के इस दौड़ में
यह हसी ही है जो मुफ्त में मिलती है
और बड़े ताज्जुब की बात तो यह है
की इस हसी को खुद से अलग नहीं कर सकते
इसलिए खुदा के इस मुबारक
चीज़ के लिए उन्हे सुकरिया नहीं कह सकते
तो चलो क्यें ना इनका भरपूर इस्तेमाल किया जाए
किसी और के लिए नहीं पर खुदा को सुकरिया
बोलने के लिए इस्तेमाल के लिए कर भी दिया करो

0 comments: