Sunday

शिकायत नहीं है

shikayat nahi hai

इन्तजार इन्तजार और इन्तजार
यही तो किया है बस हमने
कोई शिकायत नहीं कोई शिकवा नहीं
बस माँगा है तुझे रब से
मेरी हर दुआओं में तू है
मेरे हर ख्वाब का हिस्सा तू है
किसी से कहती नहीं तो क्या तुझे चाहती भी नहीं
तुझे नहीं तेरे इन्तजार को जाना है
अगर प्यार को मुकम्मल जहाँ मिल जाता
तो हम मुकम्मल हो जाते
शायद खुदा ने कुछ सोचा है
तभी हमे इसके इन्तजार पे इन्तजार है

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