Sunday

वक्त की पाबन्दी

waqt ki pabandi

ज़िन्दगी तो ज़िद से चलती है
ख्वाबों का पीछा करते हुए कटती है
कुछ सपने अधूरे से है
जिन्हे पूरा तो करना परेगा
पर डर है कहीं वक्त ना कम पर जाए
क्योंकि एक वक्त ही तो है जो किसी के रोके नहीं रूकता
सारे ख्वाब रेत की तरह बिखर जाने को है
पर जित्ना भी वक्त है उन्हे खुशी से जीना है
किसी सिकायत के बिना बी गुज़ारना है

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