अगर बेटी को परखना है तो यह परखो की वो तुमसे
कितना प्यार करती है
कितना प्यार करती है
अगर मदद ही करनी है
अपनी बेटी की तो यह करो
उसे दौड़ने दो और कहो
बेटी मै तेरे साथ हूँ
अपनी बेटी की तो यह करो
उसे दौड़ने दो और कहो
बेटी मै तेरे साथ हूँ
अगर बेटी है तभी तो
घर,घर बनता है
वरना तो मकान ही रह जाता है
घर,घर बनता है
वरना तो मकान ही रह जाता है
अगर बेटी पराये घर की
अमानत है तो वो पापा का
ग़ुरूर भी तो है
अमानत है तो वो पापा का
ग़ुरूर भी तो है
अगर बेटी है तभी आज वो
किसी के घर की बहु है
भाभी है माँ भी तो है
किसी के घर की बहु है
भाभी है माँ भी तो है
आज दुख तो सिर्फ इस बात का है
जो बेटी अपने माँ पापा के लिए
इतना कुछ करती है उसे यह समाज अपने माँ पापा को
आखिरी विदाई देने तक का हक नहीं देता
जो बेटी अपने माँ पापा के लिए
इतना कुछ करती है उसे यह समाज अपने माँ पापा को
आखिरी विदाई देने तक का हक नहीं देता
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