Sunday

ख़्वाबों का जहाँ

ख्वाबों का जहां

ख्वाबों की जहाँ कोई अहमियत नहीं
वहाँ छोटा सा ख्व़ाब मैने देखा है
जहाँ सपनों की कोई अहमियत नहीं
वहाँ एक सपना मैने देखा है

सपने देखने का हक तो कोई नहीं छीन सकता
उस पर तो सिर्फ और सिर्फ मेरा हक है
सपने मेरे इतने कीमती तो नहीं की ताला मारके रखूँ इन्हे
अगर कीमती ही है तो उन्हे सच करने का हक क्यों नहीं है मुझे

वजह तो बिलकुल साफ़ सुथरी है
सपने देखने का अगर हक दिया है तो थोड़ा विशवास भी रखो
सायद हम सब कुछ ना हासिल कर पाये
पर उस रास्ते पर चलने में मज़ा बहुत आएगा

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