रिश्ता तो हर किसी का किसी से होता है
अब किस तरह का रिश्ता हो यह फैसला हमारा है
बोलने के लिए हम सब इन्सान हैं
पर फिर क्यों हम इनसानियत भूल जातें हैं
अब किस तरह का रिश्ता हो यह फैसला हमारा है
बोलने के लिए हम सब इन्सान हैं
पर फिर क्यों हम इनसानियत भूल जातें हैं
वैसे ही जैसे ही प्यार
तो हमने भी किया और तुमने भी
पर प्यार की गहराई कितनी हैं
ये तो वक्त आने पर पता चल जाएगा
तो हमने भी किया और तुमने भी
पर प्यार की गहराई कितनी हैं
ये तो वक्त आने पर पता चल जाएगा
ऊमीद तो यह भी है तेरे से यह रिश्ता न टूटे
तेरे से मेरा दिल कभी न टूटे
क्योंकि उस टूटे दिल को नाही हम जोड़ पाएेंगें
नाही संभाल के रख पाएंगे
तेरे से मेरा दिल कभी न टूटे
क्योंकि उस टूटे दिल को नाही हम जोड़ पाएेंगें
नाही संभाल के रख पाएंगे
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