लोग तो हैं पर हमसफ़र का कुछ पता नहीं
रेलगाड़ी तो है पर मंजिल का कूछ पता नहीं
गाना तो हैं पर शब्दों का कुछ पता नहीं
आकश तो हैं पर बादलों का कुछ पता नहीं
अपने तो हैं पर अपनेपन का कुछ पता नहीं
मैदान तो है पर बच्चों का कुछ पता नहीं
घास तो है पर चरवाहों का कुछ पता नहीं
पता नही है इन सब का
क्योंकि यह अंजान है अपनी दुनिया से
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