नमक का बदला अगर बफादारी होती है
तो खून का भी बदला खून होता है
पर क्यों नहीं प्यार का बदला प्यार होता है
और इज्ज़त बदला भी इज्ज़त
क्योंकि प्यार और इज्ज़त कभी माँगने से नहीं मिलता
यह दोनो ही कमीना पड़ता है
थोड़ा अपनेपन का बीज़ डालके
थोड़ा भरोसा का बरसात करके
और ज़जबातों की नुमाइशो के नीचे
अगर यह सब सही माईनों म्ं डाला जाएगा
तो प्यार के फूल को खिलने में ज्यादा वक्त और मेहनत दोनो ही नही लगेगा
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